मै रोता नहीं फिर भी,
गले में खराश रहती है,
मर चूका है ज़मीर फिर भी ,
शरीर में साँस रहती है,
और,
कैसे छोड़ जाऊँ मै शामयाना अपना,
देर से ही सही पर उनके आने की आस रहती है.
Written by.............
Ghanshyam Choudhary
गले में खराश रहती है,
मर चूका है ज़मीर फिर भी ,
शरीर में साँस रहती है,
और,
कैसे छोड़ जाऊँ मै शामयाना अपना,
देर से ही सही पर उनके आने की आस रहती है.
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Ghanshyam Choudhary
2 टिप्पणियाँ
It's heart☺
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