Romentic Poetry


Romentic Poetryमेरी हूर तू, मेरे चेहरे का नूर है
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इस कायनात मेरे तेरे लिए रंग भरने जरूर है,
फ़साना तेरे इश्क़ का मैं भी लिखूंगा एक दिन,
मोहब्बत कितनी है तुझसे, तुझे बताना ज़रूर है,

आलम तेरे इश्क़ का मुझ पर छाया रहता है,
खो चुका हूँ मैं कहाँ, मालूम नहीं किसी को,
स्वाद तेरी बातों का भाया सा रहता है,
कभी दस्तक नहीं दी खुदा के घर पर दुआ मांगने को,
आज तेरे इश्क़ की नमाज़ो में चूर है,
मोहब्बत कितनी है तुझसे, तुझे बताना ज़रूर है,


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