Dard Shayri




गुलशन की बहारों पे सर-ए-शाम लिखा है,
फिर उस ने किताबों पे मेरा नाम लिखा है,
ये दर्द इसी तरह मेरी दुनिया में रहेगा,
कुछ सोच के उस ने मेरा अंजाम लिखा है।

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रोज़ पिलाता हूँ एक ज़हर का प्याला उसे,
एक दर्द जो दिल में है मरता ही नहीं है।

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दर्द मोहब्बत का ऐ दोस्त बहुत खूब होगा,
न चुभेगा.. न दिखेगा.. बस महसूस होगा।

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लोग मुन्तज़िर ही रहे कि हमें टूटा हुआ देखें,
और हम थे कि दर्द सहते-सहते पत्थर के हो गए।

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दिल के ज़ख्मों को हवा लगती है,
साँस लेना भी यहाँ आसान नहीं है।

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मुझको तो दर्द-ए-दिल का मज़ा याद आ गया,
तुम क्यों हुए उदास तुम्हें क्या याद आ गया?
कहने को जिंदगी थी बहुत मुख्तसर मगर,
कुछ यूँ बसर हुई कि खुदा याद आ गया।

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कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का,
वो क्या समझे दर्द आँखों की इस नमी का,
उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब कि,
उन्हे जब एहसास ही नहीं हमारी कमी का।

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दर्द के दामन में चाहत के कमल खिलते हैं,
अश्क की लकीर पर यादों के कदम चलते हैं,
रेंगते ख्यालों में नजर आती हैं मंजिलें,
जब भी निगाहों में ख्वाबों के दिए जलते हैं।

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