Mirza Galib





Mirza Galib

मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू के एक ऐसे शहंशाह हैं जिनका शेर जिंदगी के किसी भी मौके पर इस्तेमाल किया जा सकता है. 

उनको देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक,
वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है

इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब',
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे...


-------------------------------------------------

‘ग़ालिब’ बुरा न मान जो वाइ’ज़ बुरा कहे

ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे

---------------------------------------------------------

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है !!

-------------------------------------------------------
जो कुछ है महव-ए-शोख़ी-ए-अबरू-ए-यार है,
आँखों को रख के ताक़ पे देखा करे कोई !!

------------------------------------------------------
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन

दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
-----------------------------------------------------
तुम से बेजा है मुझे अपनी तबाही का गिला
उसमें कुछ शाएबा-ए-ख़ूबिए-तक़दीर भी था

--------------------------------------------------------



तू मुझे भूल गया हो तो पता बतला दूं
कभी फ़ितराक में तेरे कोई नख़्चीर भी था

-------------------------------------------------------


क़ैद में है तेरे वहशी को वही ज़ुल्फ़ की याद
हां कुछ इक रंज गरां बारी-ए-ज़ंजीर भी था

-----------------------------------------------------------


बिजली इक कूंद गई आंखों के आगे तो क्या
बात करते के मैं लब तिश्ना-ए-तक़रीर भी था

----------------------------------------------------------


यूसुफ़ उसको कहूं और कुछ न कहे ख़ैर हुई
गर बिगड़ बैठे तो मैं लाइक़-ए-ताज़ीर भी था

----------------------------------------------------------


हम थे मरने को खड़े पास न आया न सही
आख़िर उस शोख़ के तरकश में कोई तीर भी था

---------------------------------------------------------


पकड़े जाते हैं फ़रिश्तों के लिखे पर नाहक़
आदमी कोई हमारा दम-ए-तहरीर भी था

------------------------------------------------------------


रेख़ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ग़ालिब
कहते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था

----------------------------------------------------------

हुस्न ग़मज़े की कशाकश से छूटा मेरे बाद
बारे आराम से हैं एहले-जफ़ा मेरे बाद

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ