दो लफ्ज़ो में मैंने मोहब्बत मोहब्बत अपनी मुकम्मल कर दी,
जब मैंने उसे आप से हम लिख दिया।
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जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
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नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।
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गर वफ़ाओं में सदाक़त भी हो और शिद्दत भी,
फिर तो एहसास से पत्थर भी पिघल जाते हैं।
फिर तो एहसास से पत्थर भी पिघल जाते हैं।
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किसी को तलाशते तलाशते खुद को खो देना,
आंसा है क्या आशिक हो जाना।
आंसा है क्या आशिक हो जाना।
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मर जाने की ख्वाइश को मैं कुछ इस कदर मारा करता हूँ,
दिल के जहर को मैं कागज पर उतरा करता हूँ।
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मुश्किल तुझे इक बार फिर से भुलाना हो गया है।
आज फिर से दिल तेरी यादों से शायराना हो गया है।
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तलब करें तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें दे दूँ,
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब माँगते हैं।
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब माँगते हैं।
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शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है?
जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में।
जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में।
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फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली,
क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है।
क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है।
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तेरी खामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है,
तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है।
तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है।
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अहमियत यहाँ हैसियत को मिलती है,
हम है कि अपने जज्बात लिए फिरते हैं।
हम है कि अपने जज्बात लिए फिरते हैं।
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मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते,
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला?
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला?
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