विश्वास एक एहसास :-
दोस्तों विश्वास अपने आप में एक लफ्ज़ या शब्द नहीं विश्वास एक रिश्ता है, जो कि अपनों को अपनों से जोड़ता है। इसके बिना हर रिश्ता बेबुनियादी है. जरूरी नहीं की हम सिर्फ अपने घर वालो पर या रिश्तेदारों पर विश्वास रखे. ये किसी रिश्ते का मोहताज़ नहीं बल्कि रिश्ता विश्वास का मोहताज़ है,विश्वास प्यार की पहली सीढ़ी है. जहाँ प्यार होगा वह विश्वास भी होगा, विश्वास वो अटूट धागा है जो गैरों को भी अपना बना लेता है. आज के दौर में सब अपने स्वार्थ के लिए एक दूसरे का साथ देते है और विश्वास जीतते है और फिर उनको धोखा दे देते है. इससे एक बार तो उनका काम पूरा हो जाता है लेकिन वो अपने रिश्ते को उम्र भर के लिए गवा देते है क्यों? क्योंकि अब उस रिश्ते में विश्वास नहीं रहा. विश्वास ही एक ऐसी कड़ी है जो पत्थर को भी भगवान बना देती है, भगवान को दोस्तों हमने कभी देखा भी नहीं फिर भी हम मानने को तैयार हो जाते है. कि वो सिर्फ एक पत्थर हे नहीं बल्कि एक भगवान की मूरत भी है. दोस्तों मैं ये नहीं कहता कि दुसरो पर विश्वास मत करो लेकिन सबसे पहले आपको अपने ऊपर भी विश्वास होना जरूरी है आप दुसरो पर विश्वास करे लेकिन सिर्फ इतना के वो धोखा ना दे सके।
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Manisha Agarwal
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