नफ़रत हो गई है मुझे तेरे नाम से

दूरियां बढ़ गई है तमाम से,
जब से नफ़रत हो गई है मुझे तेरे नाम से,
और अब संजीदगी भद गई है जीवन में मेरे,
अब मोहब्बत करता हूं, सिर्फ अपने काम से,
दूरियां बढ़ गई है तमाम से,
जब से नफ़रत हो गई है मुझे तेरे नाम से,
अब किस्से मोहब्बत के याद नहीं करता,
तुझसे मिलने की उससे फरियाद नहीं करता,
सुबह का सूरज ही भाता है मुझे,
अब कोई शिकवा नहीं मेरी शाम से,
दूरियां बढ़ गई है तमाम से,
जब से नफ़रत हो गई है मुझे तेरे नाम से।।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ