तेरे साथ मोहब्बत निभाने को दिल चाहता है

तेरे इश्क़ में फ़ना होने का दिल चाहता है,
मै बिखर जाऊ चाहे रेत की तरह यूं,
तेरे पहलुओं में सिमटने का दिल चाहता है,

आरज़ू मेरी भी है, कुछ शाम लम्हे बिताने की,
मज़बूरी में इजाज़त देनी पड़ती है,
 तेरे साथ उम्र भर ज़िंदगी बिताने का दिल चाहता है,

चाँद और सूरज की रौशनी बरकरार रहती है अपने वक़्त पर,
तेरे साथ शम्मा जला कर, बैठने का दिल चाहता है

सांसे बचा रखी है मैंने,
ज़िंदगी गुजरने को तेरे साथ,
तेरी आशिक़ी में जान लुटाने को दिल चाहता है,

वैसे तो गैरो को भी मोहब्बत है मुझसे,
ना जाने क्यों, तेरे साथ मोहब्बत निभाने को दिल चाहता।
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