माँ का दर्द



           

जो होती थी तेरी खुशियाँ कभी,
आज वहीं खुद का अस्तित्व मिटा रही है,
जिसने दी थी तुझे अपने हिस्से की रोटी ,
आज वही माँ आंसू बहा रही है

तड़प रही है रूह को, सीने से लगाने को,
आज वही औलाद उसे नोच खा रही है,
जिसने दी थी  तुझे अपने हिस्से की रोटी,
आज वही माँ आंसू बहा रही है,

दुआ मांगती है वो मौत की,
पर उसे मौत नहीं आती,
चाहती है वो औलाद को,
पर उसे औलाद नहीं चाहती,
ना जाने क्यों बोज मानते है उसे सब,
पर वो सिर्फ प्यार चाहती है,
बेटा झूल्लाता है माँ को, फिर भी वो उसे  निहारती है,

ये वहीं माँ है जिसने तुझे,
अपनी गोद में झुलाया था,
काफिरो की तरह चूमे थे पैर तेरे,
सीना चीर तुझे खून पिलाया था,

तू सोए आराम से, इसलिए, वो रात भर जगती थी,
तुझे कुछ भी हो जाता हो जाता,
कभी इधर कभी उधर भागती थी,
आज उसने तुझे कुछ कह दिया तो, तू सब रिश्ते तोड़ के बैठा है,
एक बात बता घनश्याम तू किस बात पर ऐठा है,

जो गालियाँ लगती थी मीठी तुझे, आज वो कड़ी हो गई,
एक बात तो बता,माँ से ज़्यादा तेरी ज़िद बड़ी हो गई,

पागल रै पागल,
माँ तो एक खुदा की नियामत है,
माँ तो एक खुदा की नियामत है,
तू उनकी दुआओ से सलामत है,

भगवान् हज़रात पीर पैगम्बर,
माँ के लिए रोए है,
पूजा है उन्होंने माँ को,
खुद उनकी पैरो की जन्नत में सोये है,

एक बात बता-
 माँ से तू कैसे मुँह मोड़ गया,
जो नहीं तोड़ता रिश्ता खुदा भी,
मेरे भाई, तू एक पल में तोड़ गया,

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