मेरी मां के सपने से मै रूठ नहीं सकता

उम्मीद अब सोने लगी है,
अस्तित्व मेरा खोने लगी है,
जैसा सोचा ना था कभी सपने में मैने,
वो घटनाएं मेरे साथ होने लगी है,
सोना चाहता हूं पर नींद आती नहीं है,
अब अपनों की परेशानी देखी जाती नहीं है,
मां परेशान है हालत देख कर मेरी,
खुशियां भी मुझे भाती नहीं है, घूटने लगी है आत्मा मेरी,
सांसे जैसे रुक सी गई है,
ढह चुकी है मेरे इरादों की मंज़िले,
सपनो की लड़ी जैसे फुक सी गई है,
चलता रहता है वक़्त अपनी रफ्तार से,
अब बेचैनी होने लगी मुझे मेरे करार से,
बस यही सोच कर मै जी उठता हूं,
क्या होगा मेरी मां का,
अगर हार जाऊंगा मै मेरी हार से,
अब हालात जैसे भी हो,
लड़ना है मुझे,
अभी जाना जाता हूं मै उनके नाम से, उनका एक छोटा सा सपना है के लोग उन्हें जाने मेरे नाम से,
इतना सा कम उनका करना है मुझे,
हालात जैसे भी हो,
मै टूट नहीं सकता,
रूठे चाहे अपने मुझे फर्क नहीं पड़ता,
मेरी मां के सपने से मै रूठ नहीं सकता।।

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