तेरी उंगली पकड़ के चला हूं,
तेरे साए में पला हूं,
और क्या गुरबत गरीब करेगी मुझे,
मै अपनी मां की दुआओं के साथ खड़ा हूं,
मुझे परवाह नहीं रास्तों की,
मुझे वक़्त का वक़्त बदलना आता है,
सोना मोना जानूं लैला से इत्तेफाक नहीं रखता,
लोगो की रग पकड़ना आता है,
रुका नहीं कभी, मुझमें धारा सी रवानी है,
मै आज अपने पैरो पर खड़ा हूं,
ये मेरी मां की महरबानी है।।
तेरे साए में पला हूं,
और क्या गुरबत गरीब करेगी मुझे,
मै अपनी मां की दुआओं के साथ खड़ा हूं,
मुझे परवाह नहीं रास्तों की,
मुझे वक़्त का वक़्त बदलना आता है,
सोना मोना जानूं लैला से इत्तेफाक नहीं रखता,
लोगो की रग पकड़ना आता है,
रुका नहीं कभी, मुझमें धारा सी रवानी है,
मै आज अपने पैरो पर खड़ा हूं,
ये मेरी मां की महरबानी है।।
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