तड़पती रही उम्र भर वीरान सी ज़िन्दगी,
मानो जैसे हो अंधेरी शाम सी ज़िन्दगी,
ख़ास लोग सब भूल गए,
 अब हुई यारो आम सी जीन्दगी,
अब कहा लगता है दिल किसी मजलिस में,
मानो जैसे हुई है बेध्यान सी ज़िन्दगी,
तड़पती रही उम्र भर वीरान सी ज़िन्दगी,
मानो जैसे हो अंधेरी शाम सी ज़िन्दगी

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