जब आसमाँ से गिरने लगी मुझ पर बिजलियां,

जब आसमाँ से गिरने लगी मुझ पर बिजलियां,
माँ ने उनका रुख(दिशा) मोड़ दिया,
आया था पहाड़ टकराने को मुझसे,
माँ ने उसका हौसला तोड़ दिया,
इतने में सैलाब आया मुझे डूबने को,
बस फिर क्या था,
माँ ने उसे पल्लू में लिया और निचोड़ दिया.
Written By...............
Ghanshyam Choudhary

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