कभी काबिल था कभी,
पर आज नाक़ाबिल है,
कभी क़ाबिल था कभी,
पर आज नाक़ाबिल है,
गलती मेरी थी जो मैंने तुमसे दिल लगाया,
अब उम्मीद ना करना वफ़ा की,
अब सिर्फ मै ही नहीं मेरा दिल भी काफिर है।
Written By.............
Ghanshyam Choudhary

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ