तेरी निगाहों में डूबकर खोना चाहता था ,
तेरी निगाहों में डूबकर खोना चाहता था ,
मै तेरे साए में सोना चाहता था ,
और तुम क्या पूछते हो सबब मेरी बातो का ,
सीधी सी बात है, मैं तेरा होना चाहता था ,
तुमने तो कहा था........
चलोगी मुझसे कदम से कदम मिला कर,
फिर क्यों तुमने अपने पाँव वापिस कर लिए,
कसम दी थी तुमने साथ निभाने की उम्र भर,
फिर क्यों अपने हाथ तूने पीले कर लिए,
कैसा इम्तेहाँ था वो किस गुनाह की सजा थी,
मैने तुमसे तेरा हाथ ना माँगा था,
मुझसे मोहब्बत तुम्हारी रज़ा थी,
वक़्त कुछ ऐसा बदला मेरा
मेरी मोहब्बत की नमाज़ कज़ा हो गई,
शायद मैंने ही दे दी थी ज़रूरत से ज़्यादा मोहब्बत उसे,
मेरी मोहब्बत मेरे लिए ही सज़ा हो गई,
तुम्हारा इश्क़ इजाज़त है मेरी,
सांसो की जरुरत नियमात है तेरी,
तुम्हारा अपनापन बिना तुम्हारे खलने लगा है मुझे,
अगर दूर हो गई मेरी मोहब्बत,
ए - वक़्त शामत है तेरी,
अब दिन दिन नहीं है,
रात रात नहीं है,
मेरी जगह किसी और ने ले ली है,
शायद मेरी मोहब्बत में अब वो बात नहीं है.
Written By...........
Ghanshyam Choudhary
तेरी निगाहों में डूबकर खोना चाहता था ,
मै तेरे साए में सोना चाहता था ,
और तुम क्या पूछते हो सबब मेरी बातो का ,
सीधी सी बात है, मैं तेरा होना चाहता था ,
तुमने तो कहा था........
चलोगी मुझसे कदम से कदम मिला कर,
फिर क्यों तुमने अपने पाँव वापिस कर लिए,
कसम दी थी तुमने साथ निभाने की उम्र भर,
फिर क्यों अपने हाथ तूने पीले कर लिए,
कैसा इम्तेहाँ था वो किस गुनाह की सजा थी,
मैने तुमसे तेरा हाथ ना माँगा था,
मुझसे मोहब्बत तुम्हारी रज़ा थी,
वक़्त कुछ ऐसा बदला मेरा
मेरी मोहब्बत की नमाज़ कज़ा हो गई,
शायद मैंने ही दे दी थी ज़रूरत से ज़्यादा मोहब्बत उसे,
मेरी मोहब्बत मेरे लिए ही सज़ा हो गई,
तुम्हारा इश्क़ इजाज़त है मेरी,
सांसो की जरुरत नियमात है तेरी,
तुम्हारा अपनापन बिना तुम्हारे खलने लगा है मुझे,
अगर दूर हो गई मेरी मोहब्बत,
ए - वक़्त शामत है तेरी,
अब दिन दिन नहीं है,
रात रात नहीं है,
मेरी जगह किसी और ने ले ली है,
शायद मेरी मोहब्बत में अब वो बात नहीं है.
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Ghanshyam Choudhary
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