प्यार मनो प्यार नहीं, एक खेल हो गया है

प्यार मनो प्यार नहीं,
एक खेल हो गया है,
प्यार मनो प्यार नहीं,
एक खेल हो गया है,
कभी होता था वो खुदा की नियामत,
आज कुछ लोगो के लिए वो जेल हो गया है,
प्यार मनो प्यार नहीं,
एक खेल हो गया है,
कभी रहते थे वो एक दूजे के दिल में,
आज सबके लिए रेल हो गया है,

बदलते है कुछ दिनों मे प्यार अपना,
जीने मरने की कस्मे खाते है,
प्यार किसी और से कसमे किसी और की निभाते है,
आज शैतान और इंसान का मेल हो गया है,
प्यार मानो प्यार नहीं एक खेल हो गया है,

लड़का हो या लड़की सब अपनी हवस मिटाते है,
अपने घर की इज़्ज़त नीलाम कर, कमरे में हैवानियत दिखाते है,
जो पाक हुआ करती थी उस जैसी अब बात कहा,
आज बंद कमरे में उनका मेल हो गया है,
प्यार मनो प्यार नहीं खेल हो गया है..
Written by............
Ghanshyam Choudhary


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