कैद में है ज़िंदगी आज़ाद हो जा,
मोहब्बत में चल बर्बाद हो जा,
तेरी शहद सी आवाज़ को कानो से चख लू,
तू में इश्क़ का मीठा स्वाद हो जा.
.............................................................................
यूँ ना समझ की उम्र छीन लेगी खूबसूरती तेरी,
मख़मल में सलवटें भी बड़ी ही दिलकश लगती है
..............................................................................
तमाम उम्र हसरतों का जनाज़ा लिए फिरती है,
कौन कहता है, औरतें मय्यत को कंधा नहीं देती
............................................................................
ख़्वाहिश तो न थी किसी से दिल लगाने की,
पर किस्मत में दर्द लिखा हो तो मोहब्बत कैसे न होती
............................................................................
भूख दोनों को बाजार तक खींच लाई ,
एक खरीदने निकला, दूसरा खुद को बेचने
.............................................................................
यूँ ना समझ की उम्र छीन लेगी खूबसूरती तेरी,
मख़मल में सलवटें भी बड़ी ही दिलकश लगती है
..............................................................................
तमाम उम्र हसरतों का जनाज़ा लिए फिरती है,
कौन कहता है, औरतें मय्यत को कंधा नहीं देती
............................................................................
ख़्वाहिश तो न थी किसी से दिल लगाने की,
पर किस्मत में दर्द लिखा हो तो मोहब्बत कैसे न होती
............................................................................
भूख दोनों को बाजार तक खींच लाई ,
एक खरीदने निकला, दूसरा खुद को बेचने
0 टिप्पणियाँ
If you have any doubts. Please let me know.